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विज्ञान के चमत्कारों ने हमारी आँखें कुछ इस तरह चौंधिया दी हैं कि सही गलत के निर्णयों से परे हममें यह मानसिकता घर करती जा रही है कि सबकुछ संभव है और हमारी मुट्ठी में है | अब यह मानसिकता प्रकृति के नियमों को भी ताक पर रख चुकी है |
ज्योतिषशास्त्र पर विश्वास करनेवाले जन्म कुंडली के महत्त्व से अच्छी तरह परिचित हैं | अधिकांश लोग कुंडली को किसी चमत्कारपूर्ण पुस्तिका से कम नहीं समझते वहीँ इसे भाग्य निर्माण का एक माध्यम भी मान बैठते हैं | वस्तुतः कुंडली कोई चमत्कार नहीं करती वरन यह पूर्व जन्म के संचित कर्मों का लेखा जोखा दिखाती है | जहाँ तक भाग्य की बात है तो वह इन कर्मों के साथ देश, काल, पात्र और संस्कारों पर भी निर्भर करता है |
अथक प्रयास एवं परिश्रम के बूते भी भाग्य निर्माण की चेष्टा समझ में आती है परन्तु ग्रह नक्षत्रों व् योगों की उत्तम स्थिति के आधार पर अपने संतान जन्म की तारीख व् समय तय करना – यह प्रकृति के खिलाफ एक दुस्साहसिक कदम ही कहा जाएगा और ऐसा कदम कल्याणकारी नहीं हो सकता !
बच्चे के जन्म का स्वनिर्णित तारीख व् समय के आधार पर तैयार की गई कुंडली भविष्य के शुभ- अशुभ समय की सही जानकारी नहीं दे सकता | कारण स्पष्ट है, स्वनिर्णित कुंडली के आधार पर हम बच्चे के पूर्व सिंचित फल एवं पिछली पीढ़ियों के कर्म फल में रत्ती भर बदलाव नहीं ला सकते | ऐसे में विकट स्थिति तब लगती है जब आवश्यकता पड़ने पर कुंडली की सही जाँच नहीं हो पाती और न ही भविष्य में घटने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों का अंदाजा ही मिल पाता है, जिसका समय रहते ज्योतिषीय उपचार किया जा सकता था !
समय रहते प्रतिकूल परिस्थितियों की समुचित जानकारी- यह कुछ ऐसा ही है जैसे घर से निकलने से पहले ही अगर बारिश का अनुमान हो जाए तो छतरी साथ लेकर निकल सकते हैं| ज्योतिषीय उपचार यानि घनघोर बारिश में छतरी 100 फीसदी सुरक्षा न दे न सही, फिर भी भीगने से काफी हद तक बचा ही लेगा |
आवश्यकता पड़ने पर सिजेरियन प्रसव आज कोई नयी बात नहीं रह गई पर इस माध्यम से भाग्यशाली संतान पाने के लिए उसके भाग्य का निर्णय स्वयं लेने की चेष्टा करना- यह प्रकृति के नियमों से खिलवाड़ से ज्यादा और कुछ भी नहीं ! ऐसे तो हर घर में आसानी से ईश्वर का अवतार हो जाएगा !
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