Menu
blogid : 3598 postid : 63

अंत कहाँ है?

kuchhkhhash
kuchhkhhash
  • 33 Posts
  • 518 Comments

image_sunrise
सूरज जल्दी छुपता है , बहुमंजिलों की बाँहों में
चाह के अनगिन तारे हैं पर,लक्ष्य का वो चाँद कहाँ है?
नन्हें बेदम पग मेरे , नाप रहे पत्थर का जंगल,
गलियों की भूलभुलैया में,भटकाव का सारांश कहाँ है?
इसकी आँखें उसकी आँखें, अपने स्वप्नों में डूबी हैं
मेरी आँखें भी तलाशती हैं पर,स्वप्नों का आकाश कहाँ है?
चेहरे सभी लगे अनजाने , बातों में अनबुझ बेरुखी
टूट गया कहीं कोई ह्रदय तो,पड़ता उनको फर्क कहाँ है?
चौराहे का पांचवां रस्ता , लायेगा बेफ्रिकी एक दिन
इधर बेबसी उधर बेकली,इस उलझन का अंत कहाँ है?
तड़प तड़प कर बिखड़े है,यूगों के संचित अरमान
फुर्सत होगी तो सोचेंगे,पल भर का आराम कहाँ है?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh