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श्रीमती निशा मित्तल का एक ब्लॉग-‘कराहता बचपन’ पढ़ रही थी.वास्तव में उन्होंने बाल मजदूरों के शोषण का सुदृढ़ पक्ष दर्शाया है.इसका मैं एक और पक्ष प्रस्तुत करना चाहती हूँ,
आमतौर पर बाल मजदूरी के पीछे कमज़ोर आर्थिक हालात होते हैं. लेकिन उन अभिभावकों का क्या जो बेहतर आर्थिक स्थिति के बावजूद अपने बच्चों का शोषण करवाते हैं ?
कुछ दिनों पहले एक मोड्लिंग एजेंसी जाने का मौका मिला. वहां का दृश्य देखकर मैं हैरान रह गयी.अपनी मम्मियों की ऊँगली थामे तीन साल से छः साल तक के बच्चों की भीड़ लगी थी. पता लगा कि बच्चों कि एक फेमस प्रोडक्ट की मोड्लिंग के लिए ओडिसन चल रहे थे. पाँच बच्चों के चयन के लिए लगभग सवा सौ बच्चों की भीड़ जमा थी. कुछ बच्चे मम्मियों की गोद में सो रहे थे,कुछ बच्चे वापस घर जाने के लिए मचल रहे थे,कुछ के खेलने का समय निकला जा रहा था तो एक को होम वर्क की चिंता सता रही थी….नाज़ुक फूल जैसे मासूम बच्चे,लेकिन उनकी आँखों में एक अज्ञात चिंता …. जाने क्यों यह सब मुझे अच्छा नही लग रहा था….खैर..शुरुआत हुई और पहला नाम उस बच्चे का पुकारा गया जो इन तिकड़मों से बहुत दूर मम्मी की गोद में सो रहा था.नाम सुनते ही मम्मी बच्चे को झिंझोड़ कर जगाते हुए लपक कर ओडिसन रूम की और बढ़ी. इसके बाद बाकि मम्मियां भी अपनी अपनी तैयारियों में जुट गयी.
”प्लीज बेटू,एक बार डयलोग रीवाइस कर लो.” ..”अरे एक्सन क्यों नही दिखा रहे ?”…”स्मायल के साथ बोलना है ,इतनी सी बात क्यों नही समझ रहा ?”……”अरे बाबा ,movement क्यों भूल जाते हो ?”..”वहां कोई गड्बरी मत करना ..चोकलेट पक्की ”
यह मंजर मुझे भालू की कहानी याद दिला रहा था जिसे नृत्य सिखाने के लिए मदारी उसे गर्म तवे पर खड़ा कर देता है. ..लेकिन यहाँ भालू का स्थान इन नन्हे फरिस्तों ने ले लिया था .इस माहौल से डरा सहमा , अनमनस्क,बेक़रार सा……
अक्सर परिवार की मजबूरियां बच्चे का शोषण करवाती है लेकिन इस मामले में सक्षम पालनहार की दमित इच्छायों की तुष्टि का माध्यम बन जाते हैं ये बच्चे. यह भी बाल शोषण की ही एक तस्वीर है-एक अनोखी तस्वीर…
ये बच्चे जो अपनी नित्य की जरूरतों के लिए भी माँ पर निर्भर हैं, अगर वही माँ बच्चे को खींचती स्टुडियोस के चक्कर लगवाने लगे तो ऐसे बच्चों के समुचित विकास की जरूरतों को कौन समझेगा ?उनकी उम्र की शारीरिक-मानसिक विकास हेतु स्वस्थ माहौल का निर्माण क्या कैमरे और लाय्टस कर सकते है ?
एक मम्मी ने बड़े फख्र से मुझे बताया ,”मेरा बच्चा ही मोडलिंग में इंट्रेस्टेड है,इसलिए मैंने उसे इसकी ट्रेनिंग भी दिला दी है..अब तो बस असयन्मेंट मिलने की देर है . इसके बाद आगे टोलीवुड से बोलीवूड तक का स्कोप है.
इन मम्मियों की स्मार्टनेस और भविष्य दर्शन की क्षमता देखकर मै हैरान हूँ . a b c सीखाने की उम्र में ट्रेनिंग !! उस माँ की लगन-लालसा देखकर ऐसा लगा जैसे डांस और एक्टिंग की ट्रेनिंग उस तीन साल के बच्चे की मौलिक आवश्यकतायों में से एक है !
अंत में, आज की मम्मियों से मेरी एक ही गुज़ारिश ,अपने सपनों को अपने बच्चे की आँखों से देखने की कोशिश न करें क्योंकि उनके अपने सपनो को भी फलने फूलने का मौका चाहिए .
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