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तलाश है एक गायक की

kuchhkhhash
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शीर्षक ही ऐसा है जिसमें सम्भावना नज़र आती है.सम्भावना-अपने लिए,अपने भविष्य के लिए,स्वयं को अज्ञात कारणों से कुछ विशेष साबित करने की सम्भावना ! चाहे हम किसी भी काम धंधे में लगे हो या न लगे हों,अन्दर से हम ८० % गायक अवश्य होते हैं, जिसे एक उपयुक्त मौके की दरकार होती है .मौका मिलते ही हम अपनी छुपी गायन प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने को बेक़रार हो जाते हैं. भले ही हमें सरगम का सा लगाना भी न आता हो .क्या इतना हास्यास्पद है गायक की परिभाषा ?
गायन को साधना समझने वाले कितने गायक है ?कितने ऐसे गायक हैं जिन्होंने इसके लिए अपने भविष्य की तिलांजलि दे दी ? भले ही ऐसे गायकों को हम तुरंत नादाँ कह बैठे पर उनके असीम दर्द की कल्पना तक की है हमने ? अपने भविष्य का दर्द,…माता -पिता के बेदम होते हौसलों का दर्द,..अपने पस्त होते सपनों का दर्द……गायक ही क्यों,किसी भी बेरोजगार का यही दर्द हो सकता है लेकिन हमने सिर्फ गायक को ही चुना है क्योंकि वह सरस्वती का पुत्र है, साधक है,और सबसे बढ़कर वह अपनी कला को लेकर इतना संवेदनशील है की वह अपने भविष्य तक की परवाह नहीं कर पाता.ऐसे गायकों का क्या हश्र होता है हम यह जानते हैं…. बहुत कम ही ऐसे खुशनसीब होते हैं जिन्हें अपनी मंजिल मिल पाती है. शेष अपने निर्णय पर पछताते हैं और फिर किसी भी तरह पेट के जुगाड़ में लग जाते हैं. यह किसी के लिए महज एक शौक भर हो सकता है लेकिन हमें उनकी परवाह करनी होगी , जिन्होंने इसे अपनी जिंदगी मान लिया है .कहा जाता है कि समर्पित भाव से किये गए कर्म का फल अवश्य मिलता है. क्या यह सिद्धांत सरस्वती के इन पुत्रों पर लागू नहीं होता ?
अगर उन्हें मौका नहीं मिल पाता, तो कोई बात नहीं ,मेरा यह सोचना है कि सम्भावनाये पैदा भी की जा सकती है. संगीत की बहुत सारी शाखाएं हैं. इसके सभी क्षेत्र के कलाकार एक मंच पर एकजुट हो सकें तो नए प्रतिमान स्थापित हो सकते हैं. निराशा छोड़कर नए ट्रेंड्स स्थापित करने की जरुरत है.

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