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यह सुनने में अटपटा जरूर लगता है पर यह मिथिलांचल (बिहार) के पुरातन परम्पराओ में से एक है जहाँ बाकायदा दूल्हो का मेला लगता है !
मिथिलांचल का नाम आते ही कला व् संस्कृति के क्षेत्र में इसकी समृधता का स्मरण हो आता है . कला के क्षेत्र में मधुबनी पेंटिंग ने तो मिथिलांचल को विश्व ख्याति दी है. इसी तरह मिथिला की संस्कृति से सम्बंधित है एक वैवाहिक मेला जो दुनिया का एक अनूठा मेला है.लगभग साढ़े सात सौ वर्ष पुरानी यह ऐतिहासिक परंपरा अब भी मिथिला का गौरव है ,भले ही इसकी प्रतिष्ठा पर दहेज़ के अनगिन दाग लग चुके है.
यह विवाह मेला मधुबनी(बिहार) जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर रहिका रोड में सौराठ नाम के स्थान पर आयोजित की जाती है,जहाँ मैथिल ब्राहण वधु पक्ष के लोग दुल्हे की तलाश में आते है.यह स्थान सौराठ सभा के नाम से प्रसिध्ध है.
इस सभा की शुरुआत दहेज़ जैसी कुरीतिओं को समाप्त करने के उद्देश्य से की गयी थी लेकिन आज यह सभा पशुओं की तरह दुल्हों की खुलेआम खरीद फ़रोख्त का बाज़ार बनकर रह गया है.शायद इसीलिए यह कन्यागातों की घोर उपेक्षा का शिकार होकर रह गया .अब वह दिन दूर नहीं जब यह प्राचीनतम रिवाज़ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा
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